यीशु अपना हृदय प्रकट करके यहाँ हैं। वह कहते हैं: "मैं तुम्हारा यीशु हूँ, जिसने अवतार लिया।"
“मेरे भाइयों और बहनों, प्रेम का अंकुर जो हर दिल में तब शुरू होता है जब वे मेरी ओर मुड़ते हैं, केवल गहरी आस्था के माध्यम से पोषित और सींचा जा सकता है। जब आत्मा विश्वास करती है तो उसे कठिनाइयाँ आने पर अकेला महसूस नहीं होता है, बल्कि वह धैर्यपूर्वक भगवान की शाश्वत योजना को सामने आते हुए प्रेम से इंतजार करने को तैयार रहता है। समझो कि हर वर्तमान क्षण में ईश्वर की पवित्र इच्छा है, मेरे भाइयों और बहनों। इसलिए अपने दिलों में बहुत आशा रखो।"
“आज रात मैं तुम्हें अपनी दिव्य प्रेम आशीर्वाद के साथ आशीष दे रहा हूँ।”