यीशु और धन्य माता यहाँ हैं। उनके हृदय उजागर हैं। धन्य माता कहती हैं: "यीशु की स्तुति हो।"
यीशु: “मैं तुम्हारा यीशु हूँ, जिसने अवतार लिया है। मेरे भाइयों और बहनों, आज रात मैं तुमसे विनती करता हूँ कि तुम अपने हृदय पूरी तरह से मुझे सौंप दो। इस प्रकार तुम हर याचिका और हर क्रॉस को समर्पण कर रहे हो। यह एकमात्र तरीका है जिससे ईश्वर की दिव्य इच्छा तुम्हारे भीतर पूर्णता तक पहुँच सकेगी। आज रात हम तुम्हें हमारे संयुक्त हृदयों का आशीर्वाद दे रहे हैं।"